Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Adhure hi“ , “अधूरे ही” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अधूरे ही

 Adhure hi

 

मगर उसने

तुझसे मन की बात कही

पुराने दिनों के अपने

अधूरे सपने

तेरे क़दमों में

ला रखे उसने

तो तू भी सींच दे

उसके

तप्त शिर को

अपने आंसुओं से

डाल दे उस पर

अपने आँचल की

छाया

क्योंकि उसके थके – मांदे  दिनों में भी

उसे चाहिए

एक मोह माया

मगर याद रखना पहले-जैसा

उद्दाम मोह

पहले -जैसी ममत्व भरी माया

उसके वश की

नहीं है

ज़्यादा जतन नहीं है ज़रूरी

बस उसे

इतना लगता रहे

कि उसके सुख-दुःख को

समझने वाला

यहीं -कहीं है!

 

 

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