Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Chikne lambe kesh“ , “चिकने लम्बे केश” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चिकने लम्बे केश

 Chikne lambe kesh

 

काली चमकीली आँखें

खिलते हुए फूल के जैसा रंग शरीर का

फूलों ही जैसी सुगंध शरीर की

समयों के अंतराल चीरती हुई

अधीरता इच्छा की

याद आती हैं ये सब बातें

अधैर्य नहीं जागता मगर अब

इन सबके याद आने पर

न जागता है कोई पश्चाताप

जीर्णता के जीतने का

शरीर के इस या

उस वसंत के बीतने का

दुःख नहीं होता

उलटे एक परिपूर्णता -सी

मन में उतरती है

जैसे मौसम के बीत जाने पर

दुःख नहीं होता

उस मौसम के फूलों का!

 

 

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