Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Anuttar yog“ , “अनुत्तर योग” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अनुत्तर योग

 Anuttar yog

 

हवा को हमारे शब्द

शायद आसमान में

हिला जाते हैं

मगर हमें उनका उत्तर नहीं मिलता

बंद नहीं करते

तो भी हम प्रार्थना

मंद नहीं करते हम

अपने प्रणिपातों की गति

धीरे धीरे

सुबह-शाम ही नहीं

प्रतिपल

प्रार्थना का भाव

हम में जागता रहे

ऐसी एक कृपा हमें मिल जाती है

खिल जाती है

शरीर की कँटीली झाड़ी

प्राण बदल जाते हैं

तब वे शब्दों का उच्चारण  नहीं करते

तल्लीन कर देने वाले स्वर गाते हैं

इसलिए मैं प्रार्थना छोड़ता नहीं हूँ

उसे किसी उत्तर से जोड़ता नहीं हूँ!

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.