बोधिसत्त्व
Bodhisattav
आप वहाँ हैं
यद्यपि मैं
व्यक्त नहीं कर सकता
किन्तु
देख रहा हूँ
अब मैं आपको
अधिक स्पष्ट
आप ही हैं
प्रथम दृष्टा
आप ही हैं
जिनके हृदय ने
महसूस किया
हमारी प्रारम्भिकी का
स्पंदन
आप ही हैं
जिन्होंने गाया
अभी तक
गाये गये गीतों में
प्रथम गीत
आपका गीत
गूँज रहा है
अब भी
आपके मधुर शब्द
कर रहे हैं नृत्य
हमारी आत्माओं के
होठों पर
कोई भी शब्द
नहीं दे सकता
मैं अपने हृदय को
क्या समझ सकेगा
नश्वर शरीर!
क्योंकि
वे जुड़े हैं
हमारी आत्मा से
दोनों निमित्त हैं
परम शक्ति के
वर्षों तक
बैठा हूँ मैं
अपने उपवन में
जीवन का संगीत
सुनने के लिए
आपकी आत्मा को
गाते हुए