Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Shankar“ , “शाहकार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शाहकार

 Shankar

मुसव्विर मैं तेरा शाहकार वापस करने आया हूं

अब इन रंगीन रुख़सारों में थोड़ी ज़िदर्यां भर दे

हिजाब आलूद नज़रों में ज़रा बेबाकियां भर दे

लबों की भीगी भीगी सिलवटों को मुज़महिल कर दे

नुमाया रग-ए-पेशानी पे अक्स-ए-सोज़-ए-दिल कर दे

तबस्सुम आफ़रीं चेहरे में कुछ संजीदापन कर दे

जवां सीने के मखरुती उठाने सरिनगूं कर दे

घने बालों को कम कर दे, मगर रख्शांदगी दे दे

नज़र से तम्कनत ले कर मिज़ाज-ए-आजिजी दे दे

मगर हां बेंच के बदले इसे सोफ़े पे बिठला दे

यहां मेरे बजाए इक चमकती कार दिखला दे

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.