फगुआ- ढोल बजा दे
Phagua dhol baja de
जीवन की
आज अबीर लगा दे
फगुआ- ढोल बजा दे
तेज हुआ रवि
भागी ठिठुरन
शीत-उष्ण-सी
ऋतु की चितवन
अकड़ गई जो
टहनी मन की
उसको तनिक लचा दे
खोलें गाँठ
लगी जो छल की
रिहा करें हम
छवि निश्छल की
जलन मची अनबन की
उस पर
शीतल बैन लगा दे
साल नया है
पहला दिन है
मधुवन-गंध
अभी कमसिन है
सुनो, पपीहे
ऐसे में तू
कोयल के सुर गा दे