Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Vah Parvaz “ , “वह परवाज़” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वह परवाज़

 Vah Parvaz

 

रामभरोसे आज

नदी चढ़ी है

सागर गहरा

पार उसे ही करना

सोच रहा वह

नैया छोटी

और धार पर तिरना

छोटे-छोटे चप्पू मेरे

साहस-धीरज-लाज

खून-पसीना

बो-बोकर वह

फसलें नई उगाए

तोता-मैना की

बातों से

उसका मन घबराए

चिड़ियाँ चहकें डाल-डाल पर

करें पेड़ पर राज

घड़ियालों का

अपना घर है

उनको भी तो जीना

पानी तो है

सबका जीवन

जल की मीन-नगीना

पंख सभी के छुएँ शिखर को

प्रभु दे, वह परवाज़

 

 

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