बेटी बचाओ अभियान
Beti Bachao Abhiyan
पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व, आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना असंभव है। दोनो ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ ही साथ किसी भी देश के विकास के लिये समान रुप से जिम्मेदार है। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इनके बिना हम मानव जाति की निरंतरता के बारे में नहीं सोच सकते क्योंकि वो मानव को जन्म देती है। तो कन्या शिशु को नहीं मारा जाना चाहिये, उन्हें आगे बढ़ाने के लिये सुरक्षा, सम्मान और समान अवसर प्रदान किये जाने चाहिये। वो सभ्यता के भाग्य निर्माण में मददगार और सृजन के स्त्रोत की जड़े है। हालांकि, महिलाएं कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, यौन शोषण, दहेज के लिये हत्या आदि से अपनी ही बनायी गयी सभ्यता में पीड़ित है। ये कितना शर्मनाक है!
बेटी बचाओ अभियान क्यों
समाज में लोगों द्वारा एक शिशु कन्या को विभिन्न कारणों के कारण बचाया जाना चाहिये:
वो किसी भी क्षेत्र में लड़कों की तुलना में कम सक्षम नहीं है और अपना सर्वश्रेष्ठ देती है।
1961 से कन्या भ्रूण हत्या एक गैर कानूनी अपराध है और लिंग परीक्षण चुनाव के बाद गर्भपात को रोकने के लिये प्रतिबंधित कर दिया गया है। लोगों को सभी नियमों को लड़कियों को बचाने के लिये सख्ती से पालन करना चाहिये।
लड़कियाँ लड़कों की तुलना में अधिक आज्ञाकारी, कम हिंसक और अभिमानी साबित हो चुकी है।
वो अपने परिवार, नौकरी, समाज या देश के लिए ज्यादा जिम्मेदार साबित हो चुकी है।
वो अपने माता-पिता की और उनके कार्यों की अधिक परवाह करने वाली होती है।
एक महिला माता, पत्नी, बेटी ,बहन आदि होती है। प्रत्येक को ये सोचना चाहिये कि उसकी पत्नी किसी अन्य आदमी का बेटी है और भविष्य में उसकी बेटी किसी और की पत्नी होगी। इसलिये प्रत्येक को औरतों के हर एक रुप का सम्मान करना चाहिये।
एक लड़की अपनी जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को बहुत वफादारी से निभाती है जो इन्हें लड़को से अधिक विशेष बनाती है।
लड़कियाँ मानव जाति के अस्तित्व का परम कारण है।
लड़कियों को बचाने के लिये सरकार द्वारा उठाये गये कदम
सरकार द्वारा लड़कियों को बचाने और शिक्षित करने के लिये बहुत से कदम उठाये गये है। इस बारे में सबसे हाल की पहल बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ है जो बहुत सक्रिय रूप से सरकार, एनजीओ, कॉरपोरेट समूहों, और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों द्वारा समर्थित है। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने महिला स्कूलों में शौचालय के निर्माण से अभियान में मदद की है। बालिकाओं और महिलाओं के खिलाफ अपराध भारत में वृद्धि और विकास के रास्ते में बड़ी बाधा है। कन्या भ्रूण हत्या बड़े मुद्दों में से एक था हालांकि अस्पतालों में लिंग निर्धारण, स्कैन परीक्षण, उल्ववेधन, के लिए अल्ट्रासाउंड पर रोक लगा कर आदि के द्वारा सरकार ने प्रतिबंधित किया गया है। सरकार ने ये कदम लोगों को ये बताने के लिये लिया है कि लड़कियाँ समाज में अपराध नहीं हालांकि भगवान का दिया हुआ एक खूबसूरत तोहफा है।
निष्कर्ष
एक बेटी से नफरत, मृत्यु या अपमान नहीं किया जाना चाहिए। समाज और देश की भलाई के लिए उसे सम्मानित और प्यार किया जाना चाहिए। वो लड़कों की तरह की देश के विकास में समान रुप से भागीदार है।