Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “ Kitna accha hota he , “कितना अच्छा होता है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कितना अच्छा होता है

 Kitna accha hota he

एक-दूसरे को बिना जाने

पास-पास होना

और उस संगीत को सुनना

जो धमनियों में बजता है,

उन रंगों में नहा जाना

जो बहुत गहरे चढ़ते-उतरते हैं ।

शब्दों की खोज शुरु होते ही

हम एक-दूसरे को खोने लगते हैं

और उनके पकड़ में आते ही

एक-दूसरे के हाथों से

मछली की तरह फिसल जाते हैं ।

हर जानकारी में बहुत गहरे

ऊब का एक पतला धागा छिपा होता है,

कुछ भी ठीक से जान लेना

खुद से दुश्मनी ठान लेना है ।

कितना अच्छा होता है

एक-दूसरे के पास बैठ खुद को टटोलना,

और अपने ही भीतर

दूसरे को पा लेना ।

 

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