Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Aapne jisme rang bhara tha vah trasveer badal gai he” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आपने जिसमें रंग भरा था, वह तस्वीर बदल गई है

 Aapne jisme rang bhara tha vah trasveer badal gai he

आपने जिसमें रंग भरा था, वह तस्वीर बदल गई है

अब तो कानों-कान चलेगी, आख़िर बात निकल गई है

नीद में खोए तिफ़्ल के मुँह से रंग-बिरंगे फूल झरे

शायद पिछली भोर की लाली दीप की लौ में ढल गई है

टूटी किश्ती, दूर किनारा, सर पर है घनघोर घटा

ऐसे में तफ़ानों की नीयत भी चुपचाप बदल गई है

साहिल-साहिल शोर बया है दरिया-दरिया चर्चा है

आज किसी माँझी की शायद तूफ़ानों से चल गई है

मावस का मतलब बेटी की दुखिया माँ समझती है

भूख की मारी रात अचानक चाँद को आज निगल गई है

बाप की इज्ज़त मांग के सपनों से टकरा कर टूट गई है

ख़ून में डूबी रेल की पटरी, चीख़ हवा  को चीर गई है

घटना तो कुछ ख़ास नहीं है, बात किसी की टल गई है

फूल से तन में आग लगा कर एक सुहागन जल गई है

सबने  शलभ को हँसते देखा पत्थर की  बौछारों में

आपके हाथ से लगने वाली फूल की पँखुरी खल गई है

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.