Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Vijaykant“ , “विजयकांत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

विजयकांत

 Vijaykant

पहाड़ी झरने की तरह

चट्टानों से टकराते

पहले-पहल मिले थे विजयकांत

विजयकांत

नद की तरह बहे तब से अब तक

समुद्र होने की प्रक्रिया में

ज्वारग्रस्त होते

फिर-फिर मिले विजयकांत

मेरे रेखांकित पानी को अर्थ देते

अपनी पृथ्वी की सार्थकता को सींचते अनवरत

जीते वैसे ही क़रीब-क़रीब

जैसे मिले थे पहली बार

विजयकांत…

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