ख़ुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में
Khushbu ki tarha aaya vo rez havao me
ख़ुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में
माँगा था जिसे हम ने दिन रात दुआओं में
तुम छत पे नहीं आये वो घर से नहीं निकला
ये चाँद बहुत लटका सावन की घटाओं में
इस शहर में इक लड़की बिल्कुल है ग़ज़ल जैसी
फूलों की बदन वाली ख़ुशबू-सी अदाओं में
दुनिया की तरह वो भी हँसते हैं मुहब्बत पर
डूबे हुए रहते थे जो लोग वफ़ाओं में