नवगीत – 1
Navgeet 1
क्या हुए वे रेत पर उभरे
नदी के पांव
जिन्हें लेकर लहर आई थी
हमारे गाँव
आइना वह कहाँ जिसमें
हम संवारे रूप
रोशनी के लिए झेलें
अब कहाँ तक धूप
क्या हुई वह
मोरपंखी बादलों की छाँव
फूल पर नाखून के क्यों
उभर आये दाग
बस्तियों में एक जंगल
बो गया क्यों आग
वक्त लेकर जिन्हें आया था
हमारे गाँव