Hindi Poem of Bashir Badra “Mere saath tum bhi dua karo”,”मेरे साथ तुम भी दुआ करो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरे साथ तुम भी दुआ करो

 Mere saath tum bhi dua karo

मेरे साथ तुम भी दुआ करो यूँ किसी के हक़ में बुरा न हो

कहीं और हो न ये हादसा कोई रास्ते में जुदा न हो

मेरे घर से रात की सेज तक वो इक आँसू की लकीर है

ज़रा बढ़ के चाँद से पूछना वो इसी तरफ़ से गया न हो

सर-ए-शाम ठहरी हुई ज़मीं, आसमाँ है झुका हुआ

इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग़ ले कर खड़ा न हो

वो फ़रिश्ते आप ही ढूँढिये कहानियों की किताब में

जो बुरा कहें न बुरा सुने कोई शख़्स उन से ख़फ़ा न हो

वो विसाल हो के फ़िराक़ हो तेरी आग महकेगी एक दिन

वो गुलाब बन के खिलेगा क्या जो चराग़ बन के जला न हो

मुझे यूँ लगा कि ख़ामोश ख़ुश्बू के होँठ तितली ने छू लिये

इन्ही ज़र्द पत्तों की ओट में कोई फूल सोया हुआ न हो

इसी एहतियात में मैं रहा, इसी एहतियात में वो रहा

वो कहाँ कहाँ मेरे साथ है किसी और को ये पता न हो

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.