Hindi Poem of Bashir Badra “Mom ki jindagi ghula karna”,”मोम की ज़िन्दगी घुला करना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मोम की ज़िन्दगी घुला करना

 Mom ki jindagi ghula karna

मोम की ज़िन्दगी घुला करना

कुछ किसी से न तज़करा करना

मेरा बचपन था आईने जैसा

हर खिलौने का मुँह तका करना

चेहरा चेहरा मेरी किताबें हैं

पढ़ने वालो मुझे पढ़ा करना

ये रिवायत बहुत पुरानी है

नींद में रेत पर चला करना

रास्ते में कई खंडहर होंगे

शह-सवारो वहाँ रुका करना

जब बहुत हँस चुको तो चेहरे को

आँसुओं से भी धो लिया करना

फूल शाख़ों के हों कि आँखों के

रास्ते रास्ते चुना करना

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.