Hindi Poem of Bashir Badra “Chand sher”,”चंद शेर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चंद शेर

 Chand sher

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो

न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये ।

ज़िन्दगी तूने मुझे कब्र से कम दी है ज़मीं

पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है ।

जी बहुत चाहता है सच बोलें

क्या करें हौसला नहीं होता ।

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुँजाइश रहे

जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिन्दा न हों ।

एक दिन तुझ से मिलनें ज़रूर आऊँगा

ज़िन्दगी मुझ को तेरा पता चाहिये ।

इतनी मिलती है मेरी गज़लों से सूरत तेरी

लोग तुझ को मेरा महबूब समझते होंगे ।

वो ज़ाफ़रानी पुलोवर उसी का हिस्सा है

कोई जो दूसरा पहने तो दूसरा ही लगे ।

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में

तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलानें में।

पलकें भी चमक जाती हैं सोते में हमारी,

आँखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते ।

तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था.

फिर उस के बाद मुझे कोई अजनबी नहीं मिला ।

मैं इतना बदमुआश नहीं यानि खुल के बैठ

चुभने लगी है धूप तो स्वेटर उतार दे ।

 

 

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