Hindi Poem of Shriprakash Shukal “  Dupatta”,”दुपट्टा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दुपट्टा

 Dupatta

 

दुपट्टा लहरा रहा है शानदार

हवा चल रही है तेज़

बादल बरसने को हैं

मौसम रहा है लगातार बदल 

तय करना कठिन है

दुपट्टा क्यों लहरा रहा है

अंग क्यों भीगे हैं

उभार क्यों नही है

रंग क्यों गायब है

सवाल करती है युवती!

क्यों नहीं किसी को याद आते

कालिदास

या फिर उनकी शकुंतला

रंग यहाँ भी दिखता है

क्यों

केसरिया या फिर भगवा!

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.