Hindi Poem of Shriprakash Shukal “  Pathey”,”पाथेय” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पाथेय

 Pathey

 

आओ

बैठो

साथ पिया

बालू के कण हैं अपने ही ।

नहीं यहाँ दुनिया का चक्कर

पलकों में पग धर आओ री

यह है रेत नदी बन भीतर

शीतलता सी उतरो री!

तट है सूना-सूना-सा

लहरों में अब उतराओ भी

जिन हलचल को अब तक बांधे

खोल उन्हें, इतराओ भी!

इतना उमड़ो इतना घुमड़ो

यह तट उभरे बन साक्षी ,जी

विरह का मारा जब भी गुज़रे

पाये पाथेय, संभाले जी!

 

 

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