Hindi Poem of Ashok Vajpayee “Tatti”,”पत्ती” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पत्ती

Tatti

 

जितना भर हो सकती थी

उतना भर हो गई पत्ती

उससे अधिक हो पाना उसके बस में न था

न ही वृक्ष के बस में

जितना काँपी वह पत्ती

उससे अधिक काँप सकती थी

यह उसके बस में था

होने और काँपने के बीच

हिलगी हुई वह एक पत्ती थी

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