Hindi Poem of Chandrasen Virat “Patal patal he”,”पाटल-पाटल है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पाटल-पाटल है

 Patal patal he

किसी के स्पर्शों से मेरी

देह सब पाटल-पाटल है ।

प्राण में जली प्रणय की लौ

काम्य कौमार्य कपूर हुआ,

आरती श्वास, रोम अक्षत

लाज का स्वर सिन्दूर हुआ,

प्यार की पूजा के पल में

समर्पित तन-तुलसीदल है ।

प्रणय-पुष्पों की गंध लिए

साँस के सार्थवाह निकले,

गीत गंधर्वी आत्मा से

पूर्ण करके विवाह निकले,

वृत्ति अब जैसे वंशी है,

मर्म अब जैसे मादल है ।

देह की शिरा-शिरा गोपी

गूँजता मन-वृन्दावन है,

मग्न है महारास में सब

ब्रह्मसुख पाने का क्षण है ।

हृदय के श्याम व्यथाकुल हैं,

प्रीति की राधा विह्वल है ।

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