Hindi Poem of Balkrishan Rao “  Aaj ho hoga ”,”आज ही होगा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आज ही होगा

 Aaj ho hoga

 

मनाना चाहता है आज ही?

-तो मान ले

त्यौहार का दिन आज ही होगा!

उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठतीं,

न अनदेखे इशारे पर कभी यूँ नाचता मन;

खुले से लग रहे हैं द्वार मंदिर के

बढ़ा पग-

मूर्ति के शृंगार का दिन आज ही होगा!

न जाने आज क्यों दिल चाहता है-

स्वर मिला कर

अनसुने स्वर में किसी की कर उठे जयकार!

न जाने क्यूँ

बिना पाए हुए भी दान याचक मन,

विकल है व्यक्त करने के लिए आभार!

कोई तो, कहीं तो

प्रेरणा का स्रोत होगा ही-

उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठतीं,

नदी में बाढ़ आई है कहीं पानी गिरा होगा!

अचानक शिथिल-बंधन  हो रहा है आज

मोक्षासन बंदी मन –

किसी की तो कहीं कोई भगीरथ-साधना पूरी हुई होगी,

किसी भागीरथी के भूमि पर अवतार का दिन आज ही होगा!

मनाना चाहता है आज ही?

-तो मान ले

त्यौहार का दिन आज ही होगा!

 

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