Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Udas tum”,”उदास तुम” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उदास तुम

 Udas tum

तुम कितनी सुन्दर लगती हो

जब तुम हो जाती हो उदास!

ज्यों किसी गुलाबी दुनिया में सूने खँडहर के आसपास

मदभरी चांदनी जगती हो!

मुँह पर ढँक लेती हो आँचल

ज्यों डूब रहे रवि पर बादल,

या दिन-भर उड़कर थकी किरन,

सो जाती हो पाँखें समेट, आँचल में अलस उदासी बन!

दो भूले-भटके सान्ध्य-विहग, पुतली में कर लेते निवास!

तुम कितनी सुन्दर लगती हो

जब तुम हो जाती हो उदास!

खारे आँसू से धुले गाल

रूखे हलके अधखुले बाल,

बालों में अजब सुनहरापन,

झरती ज्यों रेशम की किरनें, संझा की बदरी से छन-छन!

मिसरी के होठों पर सूखी किन अरमानों की विकल प्यास!

तुम कितनी सुन्दर लगती हो

जब तुम हो जाती हो उदास!

भँवरों की पाँतें उतर-उतर

कानों में झुककर गुनगुनकर

हैं पूछ रहीं-‘क्या बात सखी?

उन्मन पलकों की कोरों में क्यों दबी ढँकी बरसात सखी?

चम्पई वक्ष को छूकर क्यों उड़ जाती केसर की उसाँस?

तुम कितनी सुन्दर लगती हो

ज्यों किसी गुलाबी दुनिया में सूने खँडहर के आसपास

मदभरी चाँदनी जगती हो!

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.