Hindi Poem of Dharamvir Bharti “ Uplabdhi”,”उपलब्धि” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उपलब्धि

 Uplabdhi

मैं क्या जिया?

मुझको जीवन ने जिया –

बूँद-बूँद कर पिया, मुझको

पीकर पथ पर ख़ाली प्याले-सा छोड़ दिया

मैं क्या जला?

मुझको अग्नि ने छला –

मैं कब पूरा गला, मुझको

थोड़ी-सी आँच दिखा दुर्बल मोमबत्ती-सा मोड़ दिया

देखो मुझे

हाय मैं हूँ वह सूर्य

जिसे भरी दोपहर में

अँधियारे ने तोड़ दिया!

 

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