Hindi Poem of Divik Ramesh “Shamsher ki kavita”,” शमशेर की कविता” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शमशेर की कविता

 Shamsher ki kavita

छुइए

मगर हौले से

कि यह कविता

शमशेर की है ।

और यह जो एक-आध पाँखुरी

बिखरी सी पड़ी है न?

इसे भी न हिलाना ।

बहुत मुमकिन है

किसी मूड में

शमशेर ने ही

इसे ऐसे रक्खा हो ।

दरअसल

शरीर र्में जैसे

हर चीज़ अपनी जगह है

शमशेर की कविता है ।

देखो

शब्द समझ

कहीं पाँव न रख देना

अभी गीली है

जैसे आँगन

माँ ने माटी से

अभी-अभी लीपा है

शमशेर की कविता है।

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