ऐसे हैं सुख सपन हमारे
Ese he sukh sapan hamare
ऐसे हैं सुख सपन हमारे
बन बन कर मिट जाते जैसे
बालू के घर नदी किनारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे….
लहरें आतीं, बह-बह जातीं
रेखाए बस रह-रह जातीं
जाते पल को कौन पुकारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे….
ऐसी इन सपनों की माया
जल पर जैसे चांद की छाया
चांद किसी के हाथ न आया
चाहे जितना हाथ पसारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे….