Hindi Poem of Nander Sharma “  Fata tavid ka naya kot”,”फटा ट्वीड का नया कोट” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

फटा ट्वीड का नया कोट

 Fata tavid ka naya kot

 

तुम्हें याद है क्या उस दिन की

नए कोट के बटन होल में,

हँसकर प्रिये, लगा दी थी जब

वह गुलाब की लाल कली?

फिर कुछ शरमा कर, साहस कर,

बोली थीं तुम- “इसको यों ही

खेल समझ कर फेंक न देना,

है यह प्रेम-भेंट पहली!”

कुसुम कली वह कब की सूखी,

फटा ट्वीड का नया कोट भी,

किन्तु बसी है सुरभि ह्रदय में,

जो उस कलिका से निकली!

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.