Hindi Poem of Nander Sharma “  Aaj ke bichude na jane kab milenge”,”आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे

 Aaj ke bichude na jane kab milenge

 

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे?

आज से दो प्रेम योगी, अब वियोगी ही रहेंगे!

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? 

सत्य हो यदि, कल्प की भी कल्पना कर, धीर बांधूँ,

किन्तु कैसे व्यर्थ की आशा लिये, यह योग साधूँ!

जानता हूँ, अब न हम तुम मिल सकेंगे!

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? 

आयेगा मधुमास फिर भी, आयेगी श्यामल घटा घिर,

आँख भर कर देख लो अब, मैं न आऊँगा कभी फिर!

प्राण तन से बिछुड़ कर कैसे रहेंगे!

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? 

अब न रोना, व्यर्थ होगा, हर घड़ी आँसू बहाना,

आज से अपने वियोगी, हृदय को हँसना सिखाना,

अब न हँसने के लिये, हम तुम मिलेंगे!

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? 

आज से हम तुम गिनेंगे एक ही नभ के सितारे

दूर होंगे पर सदा को, ज्यों नदी के दो किनारे

सिन्धुतट पर भी न दो जो मिल सकेंगे!

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? 

तट नदी के, भग्न उर के, दो विभागों के सदृश हैं,

चीर जिनको, विश्व की गति बह रही है, वे विवश है!

आज अथइति पर न पथ में, मिल सकेंगे!

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? 

यदि मुझे उस पार का भी मिलन का विश्वास होता,

सच कहूँगा, न मैं असहाय या निरुपाय होता,

किन्तु क्या अब स्वप्न में भी मिल सकेंगे?

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? 

आज तक हुआ सच स्वप्न, जिसने स्वप्न देखा?

कल्पना के मृदुल कर से मिटी किसकी भाग्यरेखा?

अब कहाँ सम्भव कि हम फिर मिल सकेंगे!

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? 

आह! अन्तिम रात वह, बैठी रहीं तुम पास मेरे,

शीश कांधे पर धरे, घन कुन्तलों से गात घेरे,

क्षीण स्वर में कहा था, “अब कब मिलेंगे?”

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? 

“कब मिलेंगे”, पूछ्ता मैं, विश्व से जब विरह कातर,

“कब मिलेंगे”, गूँजते प्रतिध्वनिनिनादित व्योम सागर,

“कब मिलेंगे”, प्रश्न उत्तर “कब मिलेंगे”!

आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे?

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.