Hindi Poem of Naresh Saksena “  Suni sanjh jhanke chanda”,”सूनी सँझा, झाँके चाँद” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सूनी सँझा, झाँके चाँद

 Suni sanjh jhanke chand

 

सूनी सँझा, झाँके चाँद

मुँडेर पकड़ कर आँगना

हमें, कसम से, नहीं सुहाता-

रात-रात भर जागना ।

रह-रह हवा सनाका मारे

यहाँ-वहाँ से बदन उघारे

पिछवारे का पीपल जाने-

कैसे-कैसे वचन उचारे

जाने कब तक नीम पड़ेगा-

‘घी मिसरी’ में पागना ।

कैसे मन की करूँ चिरौरी

खाली-खाली बाखर-पौरी

ऐसे मौसम तुम बाहर हो

आँगन टपके परी निबौरी

जैसे हैम अपने, वैसे हों-

दुश्मन के भी भागना ।

हमें, कसम से, नहीं सुहाता-

रात-रात भर जागना ।

 

 

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