घास
Ghas
बस्ती वीरानों पर यकसाँ फैल रही है घास
उससे पूछा क्यों उदास हो, कुछ तो होगा खास
कहाँ गए सब घोड़े, अचरज में डूबी है घास
घास ने खाए घोड़े या घोड़ों ने खाई घास
सारी दुनिया को था जिनके कब्ज़े का अहसास
उनके पते ठिकानों तक पर फैल चुकी है घास
धरती पानी की जाई सूरज की खासमखास
फिर भी क़दमों तले बिछी कुछ कहती है यह घास
धरती भर भूगोल घास का तिनके भर इतिहास
घास से पहले, घास यहाँ थी, बाद में होगी घास ।