Hindi Poem of Nida Fazli “  Har ek baat ko chup chaap kyo suna jaye”,”हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए

 Har ek baat ko chup chaap kyo suna jaye

 

हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए

कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए

तुम्हारा घर भी इसी शहर के हिसार में है

लगी है आग कहाँ क्यूँ पता किया जाए

जुदा है हीर से राँझा कई ज़मानों से

नए सिरे से कहानी को फिर लिखा जाए

कहा गया है सितारों को छूना मुश्किल है

कितना सच है कभी तजरबा किया जाए

किताबें यूँ तो बहुत सी हैं मेरे बारे में

कभी अकेले में ख़ुद को भी पढ़ लिया जाए

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.