Hindi Poem of Nida Fazli “  Me apne ikhtiyar me hu bhi nahi bhi hu”,”मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ

 Me apne ikhtiyar me hu bhi nahi bhi hu

 

मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ

दुनिया के कारोबार में हूँ भी नहीं भी हूँ.

तेरी ही जुस्तुजू में लगा है कभी कभी

मैं तेरे इंतिज़ार में हूँ भी नहीं भी हूँ.

फ़हरिस्त मरने वालों की क़ातिल के पास है

मैं अपने ही मज़ार में हूँ भी नहीं भी हूँ.

औरों के साथ ऐसा कोई मसअला नहीं

इक मैं ही इस दयार में हूँ भी नहीं भी हूँ.

मुझ से ही है हर एक सियासत का ऐतबार

फिर भी किसी शुमार में हूँ भी नहीं भी हूँ.

 

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