Hindi Poem of Gopal Singh Nepali “Bhai bahan”,”भाई – बहन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

भाई – बहन

 Bhai bahan

तू चिंगारी बनकर उड़ री, जाग-जाग मैं ज्वाल बनूँ,

तू बन जा हहराती गँगा, मैं झेलम बेहाल बनूँ,

आज बसन्ती चोला तेरा, मैं भी सज लूँ लाल बनूँ,

तू भगिनी बन क्रान्ति कराली, मैं भाई विकराल बनूँ,

यहाँ न कोई राधारानी, वृन्दावन, बंशीवाला,

…तू आँगन की ज्योति बहन री, मैं घर का पहरे वाला ।

बहन प्रेम का पुतला हूँ मैं, तू ममता की गोद बनी,

मेरा जीवन क्रीड़ा-कौतुक तू प्रत्यक्ष प्रमोद भरी,

मैं भाई फूलों में भूला, मेरी बहन विनोद बनी,

भाई की गति, मति भगिनी की दोनों मंगल-मोद बनी

यह अपराध कलंक सुशीले, सारे फूल जला देना ।

जननी की जंजीर बज रही, चल तबियत बहला देना ।

भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है,

संगम है, गँगा उमड़ी है, डूबा कूल-किनारा है,

यह उन्माद, बहन को अपना भाई एक सहारा है,

यह अलमस्ती, एक बहन ही भाई का ध्रुवतारा है,

पागल घडी, बहन-भाई है, वह आज़ाद तराना है ।

मुसीबतों से, बलिदानों से, पत्थर को समझाना है ।

 

 

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