Hindi Poem of Gopal Singh Nepali “Kuch Mukatak”,”कुछ मुक्तक” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कुछ मुक्तक

 Kuch Mukatak

1.

अफ़सोस नहीं इसका हमको, जीवन में हम कुछ कर न सके,

झोलियाँ किसी की भर न सके, संताप किसी का हर न सके,

अपने प्रति सच्चा रहने का, जीवन भर हमने काम किया,

देखा-देखी हम जी न सके, देखा-देखी हम मर न सके ।

2.

कुछ देर यहाँ जी लगता है

कुछ देर तबियत जमती है

आँखों का पानी गरम समझ

यह दुनिया आँसू कहती है

 

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