Hindi Poem of Ibne Insha “ Raat ke khwab sunaye kis ko raat ke khwab suhane the” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को रात के ख़्वाब सुहाने थे

 Raat ke khwab sunaye kis ko raat ke khwab suhane the

रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को रात के ख़्वाब सुहाने थे

धुँदले धुँदले चेहरे थे पर सब जाने पहचाने थे

ज़िद्दी वहशी अल्लहड़ चंचल मीठे लोग रसीले लोग

होंट उन के ग़ज़लों के मिसरे आँखों में अफ़्साने थे

वहशत का उनवान हमारी उन मे से जो नार बनी

देखेंगे तो लोग कहेंगे ‘इंशा’ जी दिवाने थे

ये लड़की तो इन गलियों में रोज़ ही घूमा करती थी

इस से उन को मिलना था तो इस के लाख बहाने थे

हम को सारी रात जगाया जलते बुझते तारों ने

हम क्यूँ उन के दर पर उतरे कितने और ठिकाने थे

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