Hindi Poem of Ibne Insha “ Sab ko dil ke daag dikhaye ek tujhi ko dikha na sake” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके

 Sab ko dil ke daag dikhaye ek tujhi ko dikha na sake

सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके

तेरा दामन दूर नहीं था हाथ हमीं फैला न सके

तू ऐ दोस्त कहाँ ले आया चेहरा ये ख़ुर्शीद मिसाल

सीने में आबाद करेंगे आँखों में तो समा न सके

ना तुझ से कुछ हम को निस्बत ना तुझ को कुछ हम से काम

हम को ये मालूम था लेकिन दिल को ये समझा न सके

अब तुझ से किस मुँह से कह दें सात समुंदर पार न जा

बीच की इक दीवार भी हम तो फाँद न पाए ढा न सके

मन पापी की उजड़ी खेती सूखी की सूखी ही रही

उमडे बादल गरजे बादल बूँदें दो बरसा न सके

 

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