Hindi Poem of Om Prabhakar “  Vahi se”,”वहीं से” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वहीं से

 Vahi se

 

हम जहाँ हैं

वहीं से आगे बढे़ंगें

देश के बंजर समय के

बाँझपन में

याकि अपनी लालसाओं के

अंधेरे सघन वन में

या अगर हैं

परिस्थितियों की तलहटी में

तो वहीं से बादलों के रूप में

ऊपर उठेंगे

हम जहाँ हैं वहीं से

आगे बढे़ंगे

यह हमारी नियति है

चलना पडे़गा

रात में दीपक

दिवस में सूर्य बन जलना पडे़गा

जो लडा़ई पूर्वजों ने छोड़ दी थी

हम लडे़ंगे

हम जहाँ हैं

वहीं से आगे बढे़ंगे

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.