Hindi Poem of Piyush Mishra “ Chand gori ke ghar”,”चाँद गोरी के घर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चाँद गोरी के घर

 Chand gori ke ghar

 

चाँद गोरी के घर बारात ले के आ

गोरी ओट में खड़ी है सौगात ले के आ

जो कभी ना बोली गई वो बात ले के आ

जो खिल चुके हों फूल से हालात ले के आ

जिसमें बेकली भी हो, जिसमें शोखियाँ भी हों

जिसमें झिलमिलाती रात की बेहोशियाँ भी हों

जिसमें घोंसला भी हो, तिनकों से बुना अभी

जिसके तिनके हों कि ऐसे जैसे टूटें ना कभी

हो जिसमें सरसराहटें, जिसमें खिलखिलाहटें

जिसमें सुगबुगाहटें, जिसमें कसमसाहटें

जिसमें ज़िन्दगी भी हो, जिसमें बन्दगी भी हो

जिसमें रूठना भी हो तो थोड़ी दिल्लगी भी हो

अनबुझी पहेली सी रात ले के आ

चाँद गोरी के घर बारात ले के आ…

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