साए से
Saye se
क्यों मेरे साथ-साथ आता है?
मेरी मंज़िल है बेनिशाँ नादाँ
साथ मेरा-तेरा कहाँ नादाँ
थक गए पाँव पड़ गए छाले
मंज़िलें टिमटिमा रही हैं – दूर
बस्तियाँ और जा रही हैं – दूर
मैं अकेला चलूँगा ऎ साए
कौन अहदे-वफ़ा निभाता है
क्यों मेरे साथ-साथ आता है
तू अभी जा मिलेगा सायों में
मैं कहाँ जाऊँ मैं कहाँ जाऊँ
किसकी आग़ोश में अमाँ पाऊँ