Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Remote control”,” रिमोट-कंट्रोल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रिमोट-कंट्रोल

 Remote control

 

अब तो तुम्हारा रिमोट कंट्रोल ठीक है

मैंने अपनी  मित्र से पूछा

‘मेरी तो समझ में नहीं आता

कैसे  अपना लाइट पंखा

अपने आप दूसरे के इशारे पर चल जाता है’

‘बात इतनी है बहन मैंने समझाया,

जब कनेक्शन कहीं और का रास आ जाये

या अनजाने ही वेवलेंग्थ

किसी और से मेल खा जाये

अंदर ही अंदर तरंग जुड़ जाती होगी 

बिजली बिना तार के

दौड़ जाती होगी !

‘सचमुच!जब चौंक कर खुलती है नींद

देख कर  उलट-फेर तुरत चेत जाती हूँ

धीरज धर संयत हो 

अपमे वाले को लाइन पे लाती हूँ

खीज-जाती हूँ सम्हालती -सहेजती

कि सब ठीक-ठाक चले

ब’ड़ी मुश्किल है’सहानुभूति थी मेरी होता है ऐसा

बेतार के तार बड़ा रहस्य है!

‘अरे कोई एक बार

अनायास  अनजाने अनचाहे 

जब- तब यही 

बड़े बेमालूम तरीके से  

अदृष्य सूत्र जुड़ जाता है

‘नहीं, इस होने पर अपना कोई बस नहीं!

परेशानी

होती क्यों नहीं  

पर अंततः

लाइन पर लाकर  करती हूँ अपना रिमोट काबू

‘वैसे भी  अपना ही ठीक

हाथ   में तो  रहता है

मैंने भी चेताया ।’

हाँ

दूसरा कोई पता नहीं कब क्या करे

उस पर कोई अपना बस  थोड़े ही है

 

 

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