Hindi Poem of Pratibha Saksena “ Jannat ka nazara  ”,” जन्नत का नज़ारा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जन्नत का नज़ारा

Jannat ka nazara  

 

बहत्तर कुआँरियाँ  एक आदमी के लिये!

वाह क्या बात है!

यह है जन्नत का नज़ारा!

यहाँ तो चार पर ही मन मार कर रह जाना पड़ता है ,

और वे चारों भी समय के साथ ,

कितनों की माँ बन-बन कर  हो जाती हैं रूढ़ी, पुरानी ,

अल्लाह की रहमत!

बहत्तर कुआँरियां ,

हमेशा जवान रहेंगी ,हर समय तुम्हारा मुँह देखेंगी ,राह तकेंगी!

न माँ ,न बहन ,न बेटी ,

ये सब फ़लतू के रूप हैं औरत के!

सामने न आयें!

बस बहत्तर कुआँरियाँ और दिन रात भोग-विलास!

और हमें क्या चाहिये!

अल्लाह को ख़ुश करने के लिये ,

सैकड़ों की मौत बने हमारे शरीर के चाहे चीथड़े उड़ जायें ,

बस, बहत्तर कुआँरियाँ हमें मिल जायें!

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