जलियांवाला बाग नरसंहार
Jaliyavala bagh narsanhar
दिनांक 13 अप्रेल 1919 को जलियांवाला बाग में हुआ नरसंहार भारत में ब्रिटिश शासन का एक अति घृणित अमानवीय कार्य था। पंजाब के लोग बैसाखी के शुभ दिन जलियांवाला बाग, जो स्वर्ण मंदिर के पास है, ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ अपना शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शित करने के लिए एकत्रित हुए। अचानक जनरल डायर अपने सशस्त्र पुलिस बल के साथ आया और निर्दोष निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई, तथा महिलाओं और बच्चों समेंत सैंकड़ों लोगों को मार दिया। इस बर्बर कार्य का बदला लेने के लिए बाद में ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग के कसाई जनरल डायर को मार डाला।
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के बाद मोहनदास करमचन्द गांधी कांग्रेस के निर्विवाद नेता बने। इस संघर्ष के दौरान महात्मा गांधी ने अहिंसात्मक आंदोलन की नई तरकीब विकसित की, जिसे उसने “सत्याग्रह” कहा, जिसका ढीला-ढाला अनुवाद “नैतिक शासन” है। गांधी जो स्वयं एक श्रद्धावान हिंदु थे, सहिष्णुता, सभी धर्मों में भाई में भाईचारा, अहिंसा व सादा जीवन अपनाने के समर्थक थे। इसके साथ, जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचन्द्र बोस जैसे नए नेता भी सामने आए व राष्ट्रीय आंदोलन के लिए संपूर्ण स्वतंत्रता का लक्ष्य अपनाने की वकालत की।