Indian Geography Notes on “Geologic history of India” Geography notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

भूगर्भिक इतिहास

Geologic history of India

भारत की भूगर्भीय संरचना को कल्पों के आधार पर विभाजित किया गया है। प्रीकैम्ब्रियन कल्प के दौरान बनी कुडप्पा और विंध्य प्रणालियां पूर्वी व दक्षिणी राज्यों में फैली हुई हैं। इस कल्प के एक छोटे काल के दौरान पश्चिमी और मध्य भारत की भी भूगर्भिक संरचना तय हुई। पेलियोजोइक कल्प के कैम्ब्रियन, ऑर्डोविसियन, सिलुरियन और डेवोनियन शकों के दौरान पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में कश्मीर और हिमाचल प्रदेश का निर्माण हुआ। मेसोजोइक दक्कन ट्रैप की संरचनाओं को उत्तरी दक्कन के अधिकांश हिस्से में देखा जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र का निर्माण ज्वालामुखीय विस्फोटों की वजह से हुआ। कार्बोनिफेरस प्रणाली, पर्मियन प्रणाली और ट्रियाजिक प्रणाली को पश्चिमी हिमालय में देखा जा सकता है। जुरासिक शक के दौरान हुए निर्माण को पश्चिमी हिमालय और राजस्थान में देखा जा सकता है।

टर्शियरी युग के दौरान मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और हिमालियन पट्टिका में काफी नई संरचनाएं बनी। क्रेटेशियस प्रणाली को हम मध्य भारत की विंध्य पर्वत श्रृंखला व गंगा दोआब में देख सकते हैं। गोंडवाना प्रणाली को हम नर्मदा नदी के विंध्य व सतपुरा क्षेत्रों में देख सकते हैं। इयोसीन प्रणाली को हम पश्चिमी हिमालय और असम में देख सकते हैं। ओलिगोसीन संरचनाओं को हम कच्छ और असम में देख सकते हैं। इस कल्प के दौरान प्लीस्टोसीन प्रणाली का निर्माण ज्वालमुखियों के द्वारा हुआ। हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण इंडो-ऑस्ट्रेलियन और यूरेशियाई प्लेटों के प्रसार व संकुचन से हुआ है। इन प्लेटों में लगातार प्रसार की वजह से हिमालय की ऊँचाई प्रतिवर्ष 1 सेमी. बढ़ रही है।

 

भारतीय प्लेट: भारत पूरी तरह से भारतीय प्लेट पर स्थित है। यह एक प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट है जिसका निर्माण प्राचीन महाद्वीप गोंडवानालैंड के टूटने से हुआ है। लगभग 9 करोड़ वर्ष पूर्व उत्तर क्रेटेशियस शक के दौरान भारतीय प्लेट ने उत्तर की ओर लगभग 15 सेमी प्रति वर्ष की दर से गति करना आरंभ कर दिया। सेनोजोइक कल्प के इयोसीन शक के दौरान लगभग 5 से 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व यह प्लेट एशिया से टकराई। 2007 में जर्मन भूगर्भशास्त्रियों ने बताया कि भारतीय प्लेट के इतने तेजी से गति करने का सबसे प्रमुख कारण इसका अन्य प्लेटों की अपेक्षा काफी पतला होना था। हाल के वर्र्षों में भारतीय प्लेट की गति लगभग 5 सेमी. प्रतिवर्ष है। इसकी तुलना में यूरेशियाई प्लेट की गति मात्र 2 सेमी प्रतिवर्ष ही है। इसी वजह से भारत को च्फास्टेस्ट कांटीनेंटज् की संज्ञा दी गई है।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.