Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Utsah”, “उत्साह ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

उत्साह -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Utsah – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

बादल, गरजो!–
घेर घेर घोर गगन, धाराधर जो!

ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत-छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो:–
बादल, गरजो!

विकल विकल, उन्मन थे उन्मन,
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आये अज्ञात दिशा से अनन्त के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो:–
बादल, गरजो!

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