Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Priya Yamini Jagi ”, “प्रिय यामिनी जागी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

प्रिय यामिनी जागी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Priya Yamini Jagi – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

प्रिय यामिनी जागी।
अलस पंकज-दृग अरुण-मुख
तरुण-अनुरागी।

खुले केश अशेष शोभा भर रहे,
पृष्ठ-ग्रीवा-बाहु-उर पर तर रहे,
बादलों में घिर अपर दिनकर रहे,
ज्योति की तन्वी, तड़ित-
द्युति ने क्षमा माँगी।

हेर उर-पट फेर मुख के बाल,
लख चतुर्दिक चली मन्द मराल,
गेह में प्रिय-नेह की जय-माल,
वासना की मुक्ति मुक्ता
त्याग में तागी।

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