Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Rang Gai Pag-Pag Dhanya Dhara ”, “रँग गई पग-पग धन्य धरा ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

रँग गई पग-पग धन्य धरा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Rang Gai Pag-Pag Dhanya Dhara – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

रँग गई पग-पग धन्य धरा,—
हुई जग जगमग मनोहरा ।

वर्ण गन्ध धर, मधु मकरन्द भर,
तरु-उर की अरुणिमा तरुणतर
खुली रूप – कलियों में पर भर
स्तर स्तर सुपरिसरा ।

गूँज उठा पिक-पावन पंचम
खग-कुल-कलरव मृदुल मनोरम,
सुख के भय काँपती प्रणय-क्लम
वन श्री चारुतरा ।

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