Hindi Poem of Makhan Lal Chaturvedi “Badariya tham-thamkar Jhar ri, “बदरिया थम-थमकर झर री !” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बदरिया थम-थमकर झर री ! -माखन लाल चतुर्वेदी

Badariya tham-thamkar Jhar ri – Makhan Lal Chaturvedi

 

बदरिया थम-थनकर झर री !
सागर पर मत भरे अभागन
गागर को भर री !

बदरिया थम-थमकर झर री !
एक-एक, दो-दो बूँदों में
बंधा सिन्धु का मेला,
सहस-सहस बन विहंस उठा है
यह बूँदों का रेला।
तू खोने से नहीं बावरी,
पाने से डर री !

बदरिया थम-थमकर झर री!
जग आये घनश्याम देख तो,
देख गगन पर आगी,
तूने बूंद, नींद खितिहर ने
साथ-साथ ही त्यागी।
रही कजलियों की कोमलता
झंझा को बर री !

बदरिया थम-थमकर झर री !

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