Hindi Poem of Makhan Lal Chaturvedi “Yovan ka pagalpan , “यौवन का पागलपन ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

यौवन का पागलपन -माखन लाल चतुर्वेदी

Yovan ka pagalpan – Makhan Lal Chaturvedi

 

हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।

सपना है, जादू है, छल है ऐसा
पानी पर बनती-मिटती रेखा-सा,
मिट-मिटकर दुनिया देखे रोज़ तमाशा।

यह गुदगुदी, यही बीमारी,
मन हुलसावे, छीजे काया।

हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।

वह आया आँखों में, दिल में, छुपकर,
वह आया सपने में, मन में, उठकर,
वह आया साँसों में से रुक-रुककर।

हो न पुरानी, नई उठे फिर
कैसी कठिन मोहनी माया!

हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।

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