Hindi Poem of Kabir “Avdhuta Yugan Yugan hum yogi, “अवधूता युगन युगन हम योगी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

अवधूता युगन युगन हम योगी -कबीर

Avdhuta Yugan Yugan hum yogi -Kabir

 

अवधूता युगन युगन हम योगी,
आवै ना जाय मिटै ना कबहूं, सबद अनाहत भोगी।

सभी ठौर जमात हमरी, सब ही ठौर पर मेला।
हम सब माय, सब है हम माय, हम है बहुरी अकेला।

हम ही सिद्ध समाधि हम ही, हम मौनी हम बोले।
रूप सरूप अरूप दिखा के, हम ही हम तो खेलें।

कहे कबीर जो सुनो भाई साधो, ना हीं न कोई इच्छा।
अपनी मढ़ी में आप मैं डोलूं, खेलूं सहज स्वइच्छा।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.