Hindi Poem of Kabir “Man Mast Hua Tab kyon Bole , “मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै  -कबीर

Man Mast Hua Tab kyon Bole -Kabir ke dohe

 

मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै।
हीरा पायो गाँठ गँठियायो, बार-बार वाको क्यों खोलै।
हलकी थी तब चढी तराजू, पूरी भई तब क्यों तोलै।
सुरत कलाली भई मतवाली, मधवा पी गई बिन तोले।
हंसा पायो मानसरोवर, ताल तलैया क्यों डोलै।
तेरा साहब है घर माँहीं बाहर नैना क्यों खोलै।
कहै ‘कबीर सुनो भई साधो, साहब मिल गए तिल ओलै॥

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