Hindi Poem of Kabir ke dohe “Saadho ye murdo ka ganv , “साधो ये मुरदों का गांव” Complete Poem for Class 10 and Class 12

साधो ये मुरदों का गांव -कबीर

Saadho ye murdo ka ganv -Kabir ke dohe

 

साधो ये मुरदों का गांव

पीर मरे पैगम्बर मरिहैं

मरि हैं जिन्दा जोगी

राजा मरिहैं परजा मरिहै

मरिहैं बैद और रोगी

चंदा मरिहै सूरज मरिहै

मरिहैं धरणि आकासा

चौदां भुवन के चौधरी मरिहैं

इन्हूं की का आसा

नौहूं मरिहैं दसहूं मरिहैं

मरि हैं सहज अठ्ठासी

तैंतीस कोट देवता मरि हैं

बड़ी काल की बाजी

नाम अनाम अनंत रहत है

दूजा तत्व न होइ

कहत कबीर सुनो भाई साधो

भटक मरो ना कोई

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